DNA ANALYSIS: कर्नाटक विधान परिषद में मर्यादा हनन, लोकतंत्र के मंदिर में क्यों उड़ी संविधान की धज्जियां?

हम पिछले कुछ दिनों से इस बात की लगातार चर्चा कर रहे हैं कि क्या भारत में लोकतंत्र की मात्रा जरूरत से ज्यादा हो गई है? जब हम ऐसा कहते हैं तो हम लोकतंत्र की बुराई नहीं करते, बल्कि हम सिर्फ ये सवाल उठाते हैं कि क्या लोकतंत्र के नाम पर आजादी का दुरूपयोग होने लगा है.

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